ज़िन्दगी अपनी यूँही तमाम हो जाये
ख़्वाब न कहीं तेरे नाकाम हो जायें
कर ले यहाँ पूरी सभी हसरते अपनी
न जाने कब ज़िन्दगी की शाम हो जाये
ख़्वाब न कहीं तेरे नाकाम हो जायें
कर ले यहाँ पूरी सभी हसरते अपनी
न जाने कब ज़िन्दगी की शाम हो जाये
,
चलो ज़िंदगी का अब कर लें दीदार
जी लें हर लम्हा जीत मिले या हार
आगे आगे हम पीछे चलती मौत
न जाने कब छोड़ कर चल दें संसार
रेखा जोशी
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