आँखों से छलकता तेरे प्यार है
लब से करते फिर कैसे इन्कार है
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महक प्यार की ढूंढते यहां वहां
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है
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आई अंगना धूप खिली खिली सी
हमें तुम्हारा कब से इंतज़ार है
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खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है
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खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है
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खूबसूरत नज़ारे तुम्हे पुकारे
बगिया छाई अब फिर से बहार है
रेखा जोशी
रेखा जोशी
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