सजन मिल आशियाना अब बसाना है
हमें तो प्यार तुमसे ही निभाना है
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नहीं चाहा कभी तुम दूर हों हमसे
बहाना कर सजन क्यों रूठ जाना है
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खिली है धूप आंगन में हमारे अब
सुमन उपवन यहाँ पर अब खिलाना है
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चलो साजन चलें उस पार हम दोनों
सजन दिल आज दीवाना हमारा है
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मिली है ज़िन्दगी अब मुस्कुराओ तुम
हमे तो अब ख़ुशी से खिलखिलाना है
रेखा जोशी
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