मदमस्त
स्वच्छ निर्मल धारा
उतरी धरा पर
भागीरथी
इठलाती नवयौवना सी
हिमालय पर्वत से
भागीरथी
इठलाती नवयौवना सी
हिमालय पर्वत से
लहराती बलखाती
रवानी जवानी सी
उफनती जोशीली
बहती जा रही
अमृत सा उसका पानी
जीवनदायनी
हो गई मैली धारा
है धर्म हमारा
इसे रखना पावन
बहती रहे सदा
हमारी धरा पर
अमृत सा उसका पानी
जीवनदायनी
हो गई मैली धारा
है धर्म हमारा
इसे रखना पावन
बहती रहे सदा
हमारी धरा पर
रेखा जोशी
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