Thursday, 22 September 2016

नहीं अब जहां में खुशी आज क्यूं है


 नहीं अब जहां में खुशी आज क्यूँ है 
जहर   जिंदगी  ये  बनी आज क्यूँ है 
....
हमे  ज़िन्दगी से गिला है न शिकवा 
मगर  दर्द से यह  भरी आज क्यूँ है 
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बिखर टूट जाये न सोचा न चाहा  
यहाँ ज़िन्दगी रो रही आज क्यूँ है  
... 
पुकारे किसे हम बुलायें किसे अब 
यहाँ रो रही हर कली आज क्यूँ है 
.... 
पिया घूँट हमने ज़हर से भरा अब 
यहाँ  मौत आती नहीं  आज क्यूँ  है 

रेखा जोशी 





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