उड़ायें गे पतंग लिये हाथ में डोर मुस्कुराया बसन्त गली गली में शोर उड़ें गी उमंगे छू लेंगी आसमान लहरायें गगन में चले न कोई ज़ोर
रेखा जोशी
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