Wednesday, 15 February 2017

बिन तेरे चांदनी भी वीरान है

रात कुछ देर की अब मेहमान है
बिन तेरे चांदनी भी वीरान है
,
है शीतल पवन आज लगाये अग्न
जाग उठे अब हमारे  अरमान है
,
है सूने नज़ारे सूनी यह डगर
रास्ते भी यहाँ पर तो अंजान है
,
धड़क रहा दिल हमारा तन्हाई में
जीने का नही कोई सामान है
,
चले आओ राह निहारते तेरी
नही कोई भी अपनी पहचान है

रेखा जोशी

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