सफलता का मूलमंत्र
प्रिया ने सुबह सुबह अपनी पड़ोसन को मुहँ अँधेरे अपने घर से बाहर निकलते देखा ,इससे पहले वह उससे कुछ पूछती उसकी पड़ोसन जल्दी जल्दी कहीं चली गई |प्रिया को उसका इस तरह जाना कुछ अजीब सा लगा ,इतना तो वह जानती थी कि आजकल उनके घर के हालात कुछ ठीक नही चल रहे ,उसके पति काफी समय से बीमार चल रहे थे और उसके बेटे की कमाई भी कुछ ख़ास नही थी और वह अंधाधुंध ज्योतिष्यों और तांत्रिकों के पीछे भाग रही थी ,उसकी सोच पर प्रिया को बहुत दुःख होता था ,क्या ऐसे पाखंडियों के पास कोई जादू का डंडा था जो घुमा दिया तो सारी मुसीबतें खत्म ,बस ''खुल जा सिम सिम ''की तरह उनकी किस्मत का ताला भी खुल जाए गा और वो पाखंडी बाबा उनका घर खुशियों से भर देगा प्रिया इस तरह के अंधविश्वासों को बिलकुल नही मानती थी ,बल्कि उसका कई बार मन होता था की वह अपनी पड़ोसन को समझाये कि इन सब ढकोसलों से उसे कुछ भी हासिल होने का नही और वह व्यर्थ में इन पोंगे पंडितों पर अपनी खून पसीने की कमाई लुटा रही थी |
इस संसार में हर इंसान की जिंदगी में अच्छा और बुरा समय आता है ,लेकिन बुरे वक्त में इंसान अक्सर घबरा जाता है और उन परस्थितियों का सामना करने में अपने आप को असुरक्षित एवं असमर्थ पाता है उस समय उसे किसी न किसी के सहारे या संबल की आवश्यकता महसूस होती है ,जिसे पाने के लिए वह इधर उधर भटक जाता है ,जिसका भरपूर फायदा उठाते है यह पाखंडी पोंगे पंडित |अपनी लच्छेदार बातों में उलझा कर वह शातिर लोग उन्हें बेवकूफ बना कर अपना उल्लू सीधा करते है ,पता नही हमारे देश के कितने लोग ऐसे पाखंडियों के बहकावे में आ कर अपनी जिंदगी भर की कमाई उन्हें सोंप कर अंत में बर्बाद हो कर बैठ जाते है |अपने बुरे वक्त में अगर इंसान विवेक से काम ले तो वह अपनी किस्मत को खुद बदलने में कामयाब हो सकता है ,आत्म विश्वास,,दृढ़ इच्छा शक्ति ,लगन और सकारात्मक सोच किसी भी इंसान को सफलता प्रदान कर आकाश की बुलंदियों तक पहुंचा सकती है ।
कुछ दिन पहले प्रिया की मुलाकात एक बहुत ही कामयाब इंसान से हुई थी ,यूँ ही प्रिया ने बातों बातों में उससे उसकी सफलता के पीछे किसका हाथ है ,पूछ लिया ,उसके उत्तर ने प्रिया को बहुत प्रभावित किया ,उसने कहा था कि अपनी जिंदगी में उसने बहुत कठिन परस्थितियों का सामना किया था लेकिन जब कभी भी उसे कुछ कर दिखाने का कोई अवसर दिखाई देता , वह आगे बढ़ कर उस अवसर को सुअवसर में बदल देता था और उसके पीछे रहती थी उसकी अनथक लगन ,भरपूर आत्मविश्वास और सफलता पाने का दृढ संकल्प ,बस जैसे ही उन रास्तों पर चलना शुरू करता ,मंजिलें अपने आप मिलने लग गई थी ,बस यही राज़ था उसके सफलता के द्वार के खुलने का |तभी प्रिया को सामने से अपनी पड़ोसन आती दिखाई दी और वह उससे मिलने और जीवन में सफलता पाने का मूलमंत्र बताने के लिए उसकी तरफ चल पड़ी |
रेखा जोशी
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