अंधा कर देती चमक
पैसे की
लालच की अंधी दौड़ में
लगाता जाता दाव पे दाव
जुआ
जीतने की होड़ में
थी लगाई द्रोपदी दाव पर
युधिष्ठर ने
सब कुछ हार जाने के बाद
हुआ युद्ध का शंखनाद
था कांप उठा कुरुक्षेत्र का
मैदान
थी मिली द्युत क्रीड़ा से
जन जन को पीड़ा
सर चढ़ कर जब बोले
जुनून इसका हो जाता तब
बर्बाद इंसान
रेखा जोशी
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