Thursday, 19 November 2020
Thursday, 12 November 2020
तेरे बिना हर खुशी रही अधूरी
सब कुछ है दिया जिंदगी नें हमको
बिन मांगे हैं खुशियां मिली हज़ारों
..
तरस रहे मगर हम प्यार को तेरे
वो जिंदगी ही क्या जिसमें तुम न हो
..
तेरे बिना हर खुशी रही अधूरी
क्या करें हर खुशी में हूक उठे तो
..
याद करें हर पल हम तुम्हें हमेशा
बन मोती छलकते नयन से तुम हो
..
मिला न चैन इक पल भी तेरे बिना
न जाने फिर कब मिलोगे तुम हमको
रेखा जोशी
Sunday, 25 October 2020
अवचेतन मन की अदृश्य शक्ति
अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा जाए तो हमारी नींद की विभिन्न अवस्थाएं होती है और विभिन्न अवस्थाओं के समय दिमाग में उत्पन्न हो रही तरंगों की आवृत्ति को नापा जा सकता हैl जब हम सो रहे होते हैं तब आवृति कम हो जाती है और सुप्त अवस्था में किसी खास आवृत्ति पर हमें सपने दिखाई देते हैं l सुप्त अवस्था में हमारा अवचेतन मन जागृत होता है, यहां पर मैं एक सत्य घटना का उल्लेख करना चाहूँ गी l
एक औरत को उसका पति बहुत परेशान करता था, वह हर रोज़ शराब पी कर उसे मारता था और वह अबला नारी उस समय तो कुछ कर नहीं पाती थी लेकिन उसके भीतर क्रोध का ज्वालामुखी सुलगता रहता था l जब वह व्यक्ति सो जाता था तो वह औरत हर रोज़ उसके कान में बुदबुदाने लगती थी कि वह शराब के नशे में सड़क पर चल रहा है और सामने से ट्रक ने आ कर उसे टक्कर मार कर उसकी जान ले ली l न जाने कितने दिन यह क्रम यूँही चलता रहा और वह औरत उस व्यक्ति के कान में वही शब्द बार बार दोहराती रहीl उस औरत ने अनजाने में ही उस व्यक्ति के अवचेतन मन को आदेश दे कर उस घटना के अंजाम तक पहुंचा दिया, एक दिन सच में बिलकुल वैसा ही हुआ जैसा वह औरत अपने पति के कान में कहा करती थी, वह व्यक्ति शराब के नशे में सड़क पर जा रहा था और एक ट्रक ने उसे मार गिराया और उस व्यक्ति की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई l इस घटना के बाद उस औरत को बहुत पछतावा हुआ और उसकी मौत का कारण स्वयं को समझने लगी l दरअसल उस महिला ने अपने पति के अवचेतन मन का वशीकरण कर उसे आदेश दे कर उस दुर्घटना को अंजाम दे दिया था l
रेखा जोशी
Friday, 16 October 2020
मुक्तक
Monday, 12 October 2020
बिटिया
शीश अपना ईश के आगे झुकाना चाहिए
नाम मिलकर हर किसी को साथ गाना चाहिए
....
पीर हरता हर किसी की ज़िंदगी में वह सदा
नाम सुख में भी हमें तो याद आना चाहिए
.....
पा लिया संसार सारा नाम जिसने भी जपा
दीप भगवन नेह का मन में जलाना चाहिए
.....
गीत गायें प्रेम से दिन रात भगवन हम यहाँ
प्रीत भगवन आप को भी तो निभाना चाहिए
....
हाथ अपने जोड़ कर हम माँगते तुमसे दया
प्रभु कृपा करना हमें अपना बनाना चाहिए
रेखा जोशी
माँ शारदे का पुजारी
Sunday, 27 September 2020
संस्मरण
Wednesday, 16 September 2020
हिन्दी दिवस पर
नाचती गाती गुनगुनाती यह जिंदगी
शून्य है मानव
Monday, 7 September 2020
संस्मरण
बात जून 1980 की है जब मेरे पति की श्रीनगर में नई नई बदली हुई थी, उनका आफिस एक बहुत ही पुरानी ईमारत में था और वहाँ उन्हें आफिस के साथ रहने के लिए ऊपर की मंजिल पर दो कमरे मिले हुए थे बाकी सारी बिल्डिंग वीरान और बंद पड़ी हुई थी, नीचे की मंजिल पर चौकीदार रहता थाl गर्मी की छुट्टियों में मैं भी अपने छोटे छोटे दो बेटों को लेकर वहाँ पहुंच गई l मेरे पति ने वहां नया नया चार्ज लिया था इसलिए वह देर रात तक फाइलें चेक कर रहे थे रात के 12 बज रहे कि अचानक ऊपर से किसी उतरने की आवाज सुनाई दी, लकड़ी की सीढ़ियां होने के कारण ठक ठक पांवों की आवाज ने मुझे जगा दिया, आवाज सुन कर मेरे पति भी आफिस से बाहर आ गए और उन्होंने सीढियों पर जा कर देख कि एक बहुत बड़ी काले रंग की बिल्ली सीढियों पर खड़ी थी, मेरे पति हंसते हुए कमरे में आ गए और बोले, "अरे रेखा वह तो एक बिल्ली थी, तुम आराम से सो जाओ" l उनकी बात सुन मैं भी सो गई, और बात खत्म हो गई l
कई सालों बाद हम दोनों उस किस्से को याद कर रहे थे कि अचानक मैं डर गई क्योंकि बिल्लियों के चलने की तो आवाज ही नहीं होती उनके पंजों के नीचे तो पैड होते हैं यानि कि उनके पंजे गद्देदार होते हैं तो फिर वह ठक ठक करके कौन सीढ़ियां उतर रहा था l
रेखा जोशी
Sunday, 6 September 2020
मत खेलो कुदरत से खेल
Sunday, 30 August 2020
गरजता बरसता सखी है आया सावन
दर्द दिल का दिल में ही छिपाना होगा
Wednesday, 26 August 2020
डूबता सूरज ढलती शाम
Monday, 10 August 2020
ज़िंदगी की नई सुबह
Friday, 31 July 2020
भारत के वीर जवान
Friday, 10 July 2020
बाल कविता
Saturday, 20 June 2020
Friday, 19 June 2020
मुक्तक
Friday, 12 June 2020
मुक्तक प्यार का बंधन
Thursday, 11 June 2020
छोड़ के मोह माया को यहाँ से जाना इक दिन
किस मोड़ पर जिंदगी ले आई
कैसी मैंने किस्मत है पाई
मेरी वफा तुझे रास न आई
.
सिवाय दर्द के मिला कुछ नहीं
तू तो बालम निकला हरजाई.
.
तूने बेदर्दी प्यार न जाना
फ़ितरत तेरी मैं न समझ पाई
.
काश न मिलते मुझे जिंदगी में
दिल लगा कर सजन मैं पछताई
..
जाओ तुमको माफ किया मैंने
किस मोड़ पर जिंदगी ले आई
रेखा जोशी
Tuesday, 9 June 2020
सुबह लाती फिर खुशियों की माला सजन
Monday, 8 June 2020
गीतिका
जी रहे जीने के लिये आस ज़िन्दगी में
....
बुझ गये दिये जले थे जो पलकों में कभी
टूटते रहे मेरे एहसास ज़िन्दगी में
...
उड़ गये पत्ते शाख से टूट कर यहाँ वहाँ
ठूठ खड़ा निहार रहा उदास ज़िन्दगी में
...
खो गये जज़्बात है जीवन आधा अधूरा
जी रहे लेकर अनबुझी प्यास ज़िन्दगी में
....
रुकने को है साँस देख ली दुनिया यहाँ
नैन बिछाये मौत खड़ी पास ज़िन्दगी में
...
रेखा जोशी
Monday, 1 June 2020
है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला
Monday, 25 May 2020
मुक्तक
Friday, 22 May 2020
मुक्तक
Thursday, 21 May 2020
हे श्याम साँवरे
Sunday, 17 May 2020
लॉक डाउन 4.0
कोरोना वायरस का कहर पूरे विश्व में व्याप्त है, सारी दुनिया इससे लड़ रही है, भारत में लॉक डाउन 4.0 शुरू होने जा रहा है लेकिन कुछ शर्तों के साथ, धीरे धीरे कई जगह छूट भी दी जा रही हैl धीरे धीरे जिंदगी को ढर्रे पर लाने की कोशिश भी है, जैसे आंशिक रूप से रेल सेवा शुरू हो गई है ग्रीन जोन में काफी हद तक जिंदगी समान्य होती जा रही है, ऑरेंज जोन में भी कुछ छूट दी गई है l कोरोना का कहर जल्दी खत्म होने वाला नहीं और यह अब सब जान गए है कि हमें अब कोरो ना के साथ ही रहना पड़ेगा क्योंकि अब घर में लॉक डाउन होने के कारण लोगों को परेशानी होने लगी है, कई लोगों के काम धंधे बंद पड़े हैं, बच्चों की पढ़ाई चाहे ऑन लाइन हो रही है लेकिन सारा दिन मोबाइल और कंप्युटर पर बैठे रहने से एक तो उनके सिर में दर्द रहने लगा है दूसरे कोई शारीरिक व्यायाम न होने के कारण कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का खतरा बढ़ रहा है l लॉक डाउन के चलते देश की आर्थिक स्थिति भी गिर रही है l लॉक डाउन 4.0 में सारी स्थिति को ध्यान में रखते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने राज्यों को अपने स्तर पर स्थिति से निपटने को कहा है और आर्थिक सहायता भी प्रदान करने की बात की है l
कोरोना की जंग से जीतने के लिए हम सबको सुरक्षा नियमों के पालन के साथ साथ अपने इम्यून तंत्र को भी शक्तिशाली बनाना होगा ताकि हर कार्य करते हुए हम इससे अपना बचाव कर सकें l
रेखा जोशी
है ह्रदय हमारे समाया स्वदेशी
Thursday, 14 May 2020
बुझ गई प्यास जन्म जन्म की
Monday, 27 April 2020
आह
Friday, 24 April 2020
जीवन तो चलता रहता है
Saturday, 18 April 2020
मुक्तक कोरोना पर
Tuesday, 14 April 2020
जो न समझे दर्द उसको आदमी कैसे कहूँ (ग़ज़ल)
रेखा जोशी
Wednesday, 8 April 2020
जिंदगी
माना दर्द भरा संसार यह ज़िंदगी
लेकिन फिर भी है दमदार यह ज़िंदगी
,
आंसू बहते कहीं मनाते जश्न यहां
सुख दुख देती हमें अपार यह ज़िंदगी
,
रूप जीवन का बदल रहा पल पल यहां
लेकर नव रूप करे सिंगार यह जिंदगी
,
ढलती शाम डूबे सूरज नित धरा पर
आगमन भोर का आधार यह ज़िंदगी
,
चाहे मिले ग़म खुशियां मिली है हज़ार
हर्ष में खिलता हुआ प्यार यह ज़िंदगी
रेखा जोशी
Tuesday, 7 April 2020
प्रार्थना (शीश अपना ईश के आगे झुकाना चाहिए)
Friday, 3 April 2020
फैलते कंक्रीट के जंगल
घर घर की कहानी
मुक्तक
Wednesday, 25 March 2020
हसीन लम्हे
सौगात में तुमने जो हमको दिये
वोह हसीन लम्हे
जिनकी खामोशी से मिले हमें
अजब से सिलसिले
है आस दिल में अब यही बस
गुफ्तगू हो उनसे हमारी कभी
प्यार भरी शाम में यूंहीं सदा
गुज़र जाये ज़िन्दगी हमारी
पूरे हो जाए अरमान दिल के सारे
तेरी यादों के हसीन लम्हों में
जी लें हम यह ज़िन्दगी सारी
इन्हीं खूबसूरत पलों में
है पा ली जन्नत हमनें
इन्हीं खूबसूरत पलों में
काश ठहर जाए वक्त यहीं
और हम खोये रहें इन्हीं खूबसूरत पलों में
ज़िन्दगी भर के लिए
रेखा जोशी
ये जो है जिंदगी
वक्त कब गुज़र जाता है
पता ही नहीं चलता, कैसे बंधी है
हमारी ज़िन्दगी
घड़ी की टिक टिक के साथ
सुबह से शाम , रात से दिन
बस घड़ी की टिक टिक के संग
हम सब चलते जा रहे हैं
समय को तो आगे ही
चलते जाना है,
जिंदगी का हर पल अनमोल है
क्यों न फ़िर जियें इसे ज़िंदादिली से हम
रेखा जोशी
Monday, 23 March 2020
गीतिका
Saturday, 21 March 2020
करोना वायरस का भारत में निकलेगा दम
Friday, 20 March 2020
जनता कर्फ्यू उत्तम
Wednesday, 18 March 2020
खुशी के दो चार पल
Tuesday, 17 March 2020
सतरंगी आसमान
Monday, 16 March 2020
क्रोध पर नियंत्रण
Friday, 13 March 2020
मुक्तक
Monday, 9 March 2020
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
उपवन सजा हुआ है अब फूल मुस्कुराएं
हम आज गीत गाएँ होली मिल मनाएं
छाई बहार मौसम भी है खिला खिला सा
है रंग छलकते भूलें शिकवे गले लगाएं
रेखा जोशी
Tuesday, 3 March 2020
मुक्तक
बन आग टूट पड़े करें बरबाद दुश्मन को
है काफी इक चिंगारी जलाने को मशाल
रेखा जोशी
Wednesday, 26 February 2020
मुक्तक
भारत का उनको नहीं है ख्याल
अपनी झोली की मालामाल
बैठे लगा कर धमा चौकड़ी
देश का करने हाल बेहाल
रेखा जोशी
Saturday, 22 February 2020
विडंबना
विडंबना
रमेश के बहनोई का अचानक अपने घर परिवार से दूर निधन के समाचार ने रमेश और उसकी पत्नी आशा को हिला कर रख दिया। दोनों ने जल्दी से समान बांधा, आशा ने अपने ऐ टी म कार्ड से दस हजार रूपये निकाले और वह दोनों अपने घर से बहनोई के अंतिम संस्कार के लिए रवाना हो गए, वहां पहुंचते ही आशा ने वो रूपये रमेश के हाथ में पकड़ाते हुए कहा, ''दीदी अपने घर से बहुत दूर है और इस समय इन्हें पैसे की सख्त जरूरत होगी आप यह उन्हें अपनी ओर से दे दो और मेरा ज़िक्र भी मत करना कहीं उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचे''।
अपनी बहन के विधवा होने पर रमेश बहुत भावुक हो रहा था, उसने भरी आँखों से चुपचाप वो रूपये अपनी बहन रीमा के हाथ में थमा दिए। देर रात को रमेश की सभी बहनें एक साथ एक कमरे में बैठ कर सुख दुःख बाँट रही थी तभी आशा ने उस कमरे के सामने से निकलते हुए उनकी बातें सुन ली, उसकी आँखों से आंसू छलक गए, जब उसकी नन्द रीमा के शब्द पिघलते सीसे से उसके कानो में पड़े, वह अपनी बहनों से कह रही थी, ''मेरा भाई तो मुझसे बहुत प्यार करता है, आज मुसीबत की इस घड़ी में पता नहीं उसे कैसे पता चल गया कि मुझे पैसे कि जरूरत है, यह तो मेरी भाभी है जिसने मेरे भाई को मुझ से से दूर कर रखा है।
रेखा जोशी
Friday, 21 February 2020
महा शिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
दीन हीन दुखियों के तुम ही हो रखवाले
भोले भाले बाबा शिव शंकर त्रिपुरारी
रेखा जोशी
Thursday, 6 February 2020
लम्हा लम्हा जिंदगी का
Sunday, 2 February 2020
लिखे जो खत तुझे
Saturday, 1 February 2020
आया बसंत
भँवरे करें गुँजन , बगिया बहार पे
फूलों पर मंडराये तितली चुराये रँग
कुहुकती कोयलिया ,अम्बुआ डार पे
गीत मधुर गा रही ,डाली डाली झूम रही
हौले हौले से चलती मदमस्त हवा
चूम रही फूल फूल ,लहर लहर जाये
है रँगीन छटा छाई ,नज़ारे निखार पे
रेखा जोशी
उड़ें गी उमंगे छू लेंगी आसमान
खिले जीवन यहां जैसे बगिया में बहार
फूलों से लदे गुच्छे लहराते डार डार
है खिल खिल गए उपवन महकाते संसार
,
सज रही रँग बिरँगी पुष्पित सुंदर वाटिका
है भँवरें पुष्पों पर मंडराते बार बार
,
सुन्दर गुलाब खिले महकती है खुशी यहां
संग संग फूलों के यहां मिलते है खार
,
है मनाती उत्सव रंग बिरंगी तितलियां
चुरा कर रंग फूलों का कर रही सिंगार
,
अंबुआ की डाली पे कुहुकती कोयलिया
खिले जीवन यहां जैसे बगिया में बहार
रेखा जोशी
जागो भारत के वीर सपूतो
तिरंगे का करें सम्मान आँखों
Friday, 31 January 2020
धरतीपुत्र
Wednesday, 29 January 2020
स्पर्श
Monday, 27 January 2020
रिश्ते
Sunday, 26 January 2020
मुश्किलें होंगी आसां गीत गुनगुनाया कर
माना कठिन जिंदगी फिर भी मुस्कुराया कर
कर सामना, खुद को इतना भी मत बचाया कर
..
लाख गम खड़े हैं जीवन सफर की राहों पे
न हो उदास हँस कर उन्हें तू अपनाया कर
…
रु कना नहीं, झुकना नहीं जीवन के पथ पे
चलता चल मुसाफिर पथ पर न डगमगाया कर
…
रख विश्वास खुद पर अपना और बढ़ता चल
मुश्किलें होंगी आसां गीत गुनगुनाया कर
…
उपवन. में खिलें गे फूल भी तो इक दिन सजन
कर इंतजार पिया, यूँही मत घबराया कर
.रेखा जोशी
Friday, 24 January 2020
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
Wednesday, 15 January 2020
धूप
ठंड के मौसम में भाती धूप
गुम हुई आज खिलखिलाती धूप
.
छिप गई है सफेद आँचल तले
धरा पर जो थी इठलाती धूप
..
है ठण्डी बर्फ सी चली हवाएं
अच्छा लगे है. पीना गर्म सूप
..
सर्दी से ठिठुरता रहता है तन
अच्छा लगता जब मुस्काती धूप
.
सूरज देव जब देते है. दर्शन
खिलती धरती गुनगुनाती धूप
रेखा जोशी
Saturday, 11 January 2020
जीवन में आ जाती बहार, तुम जो आ जाते इक बार
जीवन में आ जाती बहार, तुम जो आ जाते इक बार
आसां होती जीवन की राह, मिलता ग़र हमें तेरा प्यार
..
जी लेते हम और कुछ देर, संग जो मिलता हमें तेरा
सँवर जाती मेरी तकदीर, खुशियाँ गुनगुनाती मेरे द्वार,
..
हमने तो चाहा था दिल से, समझा न तुमने कभी हमें
रूठी है किस्मत हमसे आज, जीते तुम औ हम गए हार
…
बहुत हुआ अब आओ सनम, न लो अब इम्तिहान साजन
मर जायेगे बिन तेरे हम कर दो पिया बगिया गुलजार
..
पूछे हैं हम से तन्हाईयाँ, जीते रहे हैं किसके लिए
आने से तेरे फिर से सजन, लौटें गी घर खुशियाँ हजार
रेखा जोशी