आधार छंद पर गीतिका
मापनी - 212 212 212 212
तुम न आये सजन शाम ढलने लगी
अब मिलन की पिया आस बुझने लगी
....
है अँधेरा यहाँ छा रहा अब सजन
चाँदनी भी यहाँ अब बिछुड़ने लगी
....
जब दिया तोड़ दिल ज़िंदगी क्या करें
नैन बहने लगे साँस थमने लगी
....
दीप जगमग यहाँ आज बुझ ही गये
रोशनी चाँद की भी सिमटने लगी
....
छा गई जब घटा याद तुम को किया
बदरिया तिमिर की आज छटने लगी
रेखा जोशी
मापनी - 212 212 212 212
तुम न आये सजन शाम ढलने लगी
अब मिलन की पिया आस बुझने लगी
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है अँधेरा यहाँ छा रहा अब सजन
चाँदनी भी यहाँ अब बिछुड़ने लगी
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जब दिया तोड़ दिल ज़िंदगी क्या करें
नैन बहने लगे साँस थमने लगी
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दीप जगमग यहाँ आज बुझ ही गये
रोशनी चाँद की भी सिमटने लगी
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छा गई जब घटा याद तुम को किया
बदरिया तिमिर की आज छटने लगी
रेखा जोशी
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