Sunday, 27 September 2015

उड़ना चाहूँ आसमान में पाँव पड़ी जंजीर

उड़ना चाहूँ आसमान  में पाँव पड़ी जंजीर 
जो चाहूँ वो न पाऊँ यह कैसी मेरी तकदीर 
रहे अधूरे सब सपने  देखे  जो  चाहतों  ने  
भाग्यविधाता लिखी क्यों मेरे भाग्य में पीर 

रेखा जोशी 

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