उड़ना चाहूँ आसमान में पाँव पड़ी जंजीर
जो चाहूँ वो न पाऊँ यह कैसी मेरी तकदीर
रहे अधूरे सब सपने देखे जो चाहतों ने
भाग्यविधाता लिखी क्यों मेरे भाग्य में पीर
रेखा जोशी
जो चाहूँ वो न पाऊँ यह कैसी मेरी तकदीर
रहे अधूरे सब सपने देखे जो चाहतों ने
भाग्यविधाता लिखी क्यों मेरे भाग्य में पीर
रेखा जोशी
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