जीना प्रभु लाचार हुआ राह दिखाओ
मेरे प्रभु तुम अपना अब हाथ बढ़ाओ
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आशीष हमे दो प्रभु हम शीश झुकाते
हे नाथ हमारे मन में आस जगाओ
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संसार दुखों का घर उपकार करो तुम
अब दीन दुखी को प्रभु तुम आप उठाओ
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माना तुम नैया सब की पार लगाते
हम डूब रहे सागर में आन बचाओ
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हम हाथ यहाँ जोड़ तुम्हे आज पुकारें
विनती सुन गिरते जन को राम सँभालो
रेखा जोशी
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