गीतिका
चाहे कहीं चलो तुम हम भी चले वही हैं
राहें जुदा जुदा है मंज़िल भले वही हैं
…
दीपक जले वफ़ा के मिलते रहे सहारे
पायें सदा यहाँ पे शिकवे गिले वही हैं
....
शरमाई ' चाँदनी जब नैना झुके हमारे
बरसात फूलों' ने की साजन मिले वही हैं
…
पाई ख़ुशी खिला दिल खिल खिल गये नज़ारे
खिलती कली कली अब दिल जब खिले वही है
…
अब ज़िंदगी हमारी कर दी है' नाम तेरे
तकदीर ने दिये है हम को सिले वही है
रेखा जोशी
चाहे कहीं चलो तुम हम भी चले वही हैं
राहें जुदा जुदा है मंज़िल भले वही हैं
…
दीपक जले वफ़ा के मिलते रहे सहारे
पायें सदा यहाँ पे शिकवे गिले वही हैं
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शरमाई ' चाँदनी जब नैना झुके हमारे
बरसात फूलों' ने की साजन मिले वही हैं
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पाई ख़ुशी खिला दिल खिल खिल गये नज़ारे
खिलती कली कली अब दिल जब खिले वही है
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अब ज़िंदगी हमारी कर दी है' नाम तेरे
तकदीर ने दिये है हम को सिले वही है
रेखा जोशी
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