नहीं तुम मिले मै गमन कर रहा हूँ
यहाँ रात में अब शयन कर रहा हूँ
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न तस्वीर से ही मुलाकात होती
मिलो सामने यह जतन कर रहा हूँ
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पिरोये न शब्द' पठन कर रहा हूँ
बहुत आस से मै सृजन कर रहा हूँ
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मिलो गर कभी तुम सजन हम पुकारें
तुझे आज पा लूँ मनन कर रहा हूँ
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इधर फूल महका रहे आज बगिया
उधर शूल भी सँग चुभन कर रहा हूँ
रेखा जोशी
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