Wednesday, 9 September 2015

अब बहारें यहाँ पर महकने लगी

हर घड़ी ज़िंदगी की चहकने लगी
ज़िंदगी अब हमारी  सँवरने  लगी
...
खूबसूरत  सजी  वादियाँ अब यहाँ
अब  बहारें यहाँ पर महकने  लगी
...
झुक गई डालियाँ पुष्प खिलने लगे
अब  उमंगें  यहाँ पर उछलने  लगी
....
खिल  गये  खूबसूरत  नज़ारे  यहाँ
अब हवायें यहाँ पर  मचलने  लगी

देख तुम को सजन चाँद शरमा गया
चाँद  की  चाँदनी  भी  चमकने लगी

रेखा जोशी


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