Monday, 7 September 2015
उपवन खिले खिले है अब छा रही बहारें
आये अगर बलम तुमअँगना कहीं हमारे
उपवन खिले खिले है अब छा रही बहारें
ठंडी चली हवायें मौसम न आज भाये
आओ चले जहाँ पर कोई नहीं पुकारे
रेखा जोशी
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