Monday, 1 February 2016

निशा में चाँदनी भी अब बुलाती है

सजन तेरी हमे जब याद आती है
ख़ुशी रह रह पिया तब गीत गाती है
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मचल जाते यहाँ अरमान दिल में जब
सुहानी रात भी तब गुनगुनाती है
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चले आओ पुकारें आज दिल मेरा
निशा में  चाँदनी भी अब बुलाती है
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पुकारे ज़िंदगी जी लो यहाँ हर पल
अभी तो ज़िंदगी भी मुस्कुराती है
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खिले है फूल पल दो पल चमन में अब
बहारें आज साजन खिलखिलाती है
रेखा जोशी

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