Friday, 19 February 2016

क्या हुआ जो मिला काँटों भरा जीवन हमें

जाने अनजाने  कुछ  तो ज़िंदगी कह गई
दिये जो अपनों ने   दर्द  ज़िंदगी  सह गई
क्या हुआ जो मिला काँटों भरा जीवन हमें
उलझ कर जिसमें हमारी ज़िंदगी रह गई

रेखा जोशी 

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