जाने अनजाने कुछ तो ज़िंदगी कह गई
दिये जो अपनों ने दर्द ज़िंदगी सह गई
क्या हुआ जो मिला काँटों भरा जीवन हमें
उलझ कर जिसमें हमारी ज़िंदगी रह गई
रेखा जोशी
दिये जो अपनों ने दर्द ज़िंदगी सह गई
क्या हुआ जो मिला काँटों भरा जीवन हमें
उलझ कर जिसमें हमारी ज़िंदगी रह गई
रेखा जोशी
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