सुलगती चिता सा यह दिल सुलगता क्यों
सब खत्म होने के बाद फिर धुआँ क्यों
जल कर आग में सब तो राख हो गया
फिर सीने में धधकती यह ज्वाला क्यों
रेखा जोशी
सब खत्म होने के बाद फिर धुआँ क्यों
जल कर आग में सब तो राख हो गया
फिर सीने में धधकती यह ज्वाला क्यों
रेखा जोशी
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