माना दोस्त तुम्हे हमने जाने क्या सोच कर
क्यों मिले गले तुम जीवन की राह में रोक कर
देख ली दुश्मनी तुम्हारी दोस्ती की आड़ में
खूब निभाई यारी पीठ पर खंजर घोंप कर
रेखा जोशी
क्यों मिले गले तुम जीवन की राह में रोक कर
देख ली दुश्मनी तुम्हारी दोस्ती की आड़ में
खूब निभाई यारी पीठ पर खंजर घोंप कर
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment