Saturday, 27 February 2016

ज़िंदगी जीने की कला

राम चरित मानस और महाभारत हमारे धर्म के दो  ऐसे महान ग्रन्थ है जिनसे हम  बहुत कुछ सीख सकते है | राम चरित मानस में जहाँ  भगवान श्री राम के आदर्श चरित्र को पूजा जाता है वहाँ महाभारत में योगेश्वर श्री कृष्ण के चरित्र के भिन्न भिन्न स्वरूप दर्शाये गये हैं । यहाँ मै चर्चा   करुँगी ,महाज्ञानी ,महापंडित रावण की ,हर वर्ष हम सब दशहरे को उसका पुतला जला के बुराई पर अच्छाई की  जीत का उत्सव मनाते है ,अगर हम देखें तो उस बुराई की जड़ को पानी तो लक्ष्मण ने दिया था ,श्रूपनखा की नाक काट कर ,अपमानित व्यक्ति अपने अपमान को कैसे सहन कर  सकता है । वैसे ही महाभारत में द्रौपदी ने दुर्योद्धन को अन्धे  का बेटा  अन्धा कह कर उसका  अपमान किया था ,इन दोनों प्रसंगों से हम सब को  भी सीख  लेनी चाहिए। अगर हम इन दोनों ग्रन्थों का  गहन अध्ययन करते है तो हमें बहुत से उदहारण मिलेंगे  जिनसे हम ज़िंदगी जीने की कला सीख सकते है।

रेखा जोशी


No comments:

Post a Comment