न चाहते हुए भी हमे उनसे प्यार हो गया
लब खुले भी नही आँखों से इज़हार हो गया
...
खुदा बचाये इस नामुराद मुहब्बत से हमे
न जाने कैसे दिल फिर इसका शिकार हो गया
...
हमने तो चाहा उन को सदा दिल औ जान से
न जाने क्यों उनसे हमारा तकरार हो गया
...
देते रहे हम को साजन धोखे ज़िंदगी भर
न जाने हमें क्यों एतबार बार बार हो गया
...
सदा खुश रहो साजन ज़िंदगी के हर मोड़ पर
जीवन में हमारे तो अब अन्धकार हो गया
रेखा जोशी
लब खुले भी नही आँखों से इज़हार हो गया
...
खुदा बचाये इस नामुराद मुहब्बत से हमे
न जाने कैसे दिल फिर इसका शिकार हो गया
...
हमने तो चाहा उन को सदा दिल औ जान से
न जाने क्यों उनसे हमारा तकरार हो गया
...
देते रहे हम को साजन धोखे ज़िंदगी भर
न जाने हमें क्यों एतबार बार बार हो गया
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सदा खुश रहो साजन ज़िंदगी के हर मोड़ पर
जीवन में हमारे तो अब अन्धकार हो गया
रेखा जोशी
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