Sunday 7 December 2014

गा रहे गीत शाखाओं पर रंग बिरंगे फूल

झूम रहे
पेड़ों की
शाखाओं पर
रंग बिरंगे फूल

हौले हौले
बह रही
संगीतमय लहर
दे रही हिलोरे
मदमस्त पवन
गा रहे गीत
शाखाओं पर
रंग बिरंगे फूल

मुस्कुराते हुए
खिलखिला रहे है
शाखाओं पर
रंग बिरंगे फूल

खिल कर बिखरना
नियति है इनकी
बिखरने दो इन्हे
धरा के आँचल में
सृजन होगा
महकेगे फिर से
शाखाओं पर
रंग बिरंगे फूल

रेखा जोशी

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