बदरी गरजे गगन में , घिरी घटा घनघोर
रास रचा दामिनी से ,मचा रही है शोर
रेखा जोशी
रास रचा दामिनी से ,मचा रही है शोर
मचा रही है शोर ,धड़काये है वो जिया
नाच रहे है मोर ,घर आये मोरे पिया
नाच रहे है मोर ,घर आये मोरे पिया
जिया खिल खिल जाये ,लहराती जाये चुनरी
भिगोये तन मोरा ,नभ से बरसती बदरी
रेखा जोशी
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