मत खेलो तुम
मेरे जज़्बातों से
नही समझ सकते
इस दिल की
पीड़ा तुम
तो
क्यों कुरेद रहे हो
सुलगते अरमानो को
सिसकती आहों से
हो गई
धुआँ धुआँ
ज़िंदगी मेरी
कैसे आती
मुस्कुराहट
होंठों पर तुम्हारे
समझ गई
शायद
मेरी यह तड़प
है तुम्हारी
ज़िंदगी
रेखा जोशी
मेरे जज़्बातों से
नही समझ सकते
इस दिल की
पीड़ा तुम
तो
क्यों कुरेद रहे हो
सुलगते अरमानो को
सिसकती आहों से
हो गई
धुआँ धुआँ
ज़िंदगी मेरी
कैसे आती
मुस्कुराहट
होंठों पर तुम्हारे
समझ गई
शायद
मेरी यह तड़प
है तुम्हारी
ज़िंदगी
रेखा जोशी
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