Friday, 5 December 2014

बदल रही पल पल समय की धार

समुद्र तट पर 
चल रहे किनारे किनारे 
गरज रहा सागर 
और 
मचा रही शोर 
साहिल  पर 
आती जाती लहरे 
बदल रही पल पल 
समय की धार

सूरज रहा चूम
सागर का आंचल 
चमक रहा सिंदूरी रंग 
आसमां भरा गुलाल 
और
बदल रही पल पल 
समय की धार

चलता रहा जीवन
ढलती रही  शाम 
फिर होगी सुबह 
होगा नव नाम 
खिलते रहेंगे फूल 
महकता रहेगा उपवन 
आती रहेगी बहार 
बदल रही पल पल 
समय की धार

रेखा जोशी 

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