ग़ज़ल
यादों में हमने अपनी तुमको बसा लिया है
दुनिया से हमने तुमको दिल में छुपा लिया है
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रातो में आ आ कर अब हमको न तुम जगाना
सपनो में अपने हमने अब घर बना लिया है
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रोशन है सूरज भी तेरे चेहरे की दमक से
चन्दा ने भी तेरी आभा को चुरा लिया है
…
शबनम रोई रातों में यूँ तो उमर यहाँ पे
गुलशन ने भी खुशबू को दिल में बसा लिया है
…
आओ महका दो आँगन अब तुम सनम यहाँ पे
जीवन में खुशियों को दिल में अब सजा लिया है
रेखा जोशी
यादों में हमने अपनी तुमको बसा लिया है
दुनिया से हमने तुमको दिल में छुपा लिया है
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रातो में आ आ कर अब हमको न तुम जगाना
सपनो में अपने हमने अब घर बना लिया है
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रोशन है सूरज भी तेरे चेहरे की दमक से
चन्दा ने भी तेरी आभा को चुरा लिया है
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शबनम रोई रातों में यूँ तो उमर यहाँ पे
गुलशन ने भी खुशबू को दिल में बसा लिया है
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आओ महका दो आँगन अब तुम सनम यहाँ पे
जीवन में खुशियों को दिल में अब सजा लिया है
रेखा जोशी
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