Sunday, 7 December 2014
सजन धागे मुहब्बत के सुलझ गये
जब से
ज़ुल्फ़ों की छाँव में उलझ गये
सजन धागे मुहब्बत के सुलझ गये
खुशनसीब है हम मिली जो मुहब्बत
अब से ज़िन्दगी हसीँ है समझ गये
रेखा जोशी
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