गीतिका
पुष्प को बगिया में खिलने की आस है
बसंत भी तो पतझड़ के आस पास है
बगिया वीरान है बिन तेरेअब सजन
धैर्य रख मधुमास भी तो आस पास है
अँगना तेरे मुस्कुराये गी धूप भी
खिलखिलाते फूल भी तो आस पास है
पोंछ ले आँसू आँखों से तुम अपने
बहार फूलो की भी तो आस पास है
न उदास हो अब तो ज़िंदगी तू मुझसे
गुनगुनाती खुशियाँ यहॉँ आस पास है
रेखा जोशी
पुष्प को बगिया में खिलने की आस है
बसंत भी तो पतझड़ के आस पास है
बगिया वीरान है बिन तेरेअब सजन
धैर्य रख मधुमास भी तो आस पास है
अँगना तेरे मुस्कुराये गी धूप भी
खिलखिलाते फूल भी तो आस पास है
पोंछ ले आँसू आँखों से तुम अपने
बहार फूलो की भी तो आस पास है
न उदास हो अब तो ज़िंदगी तू मुझसे
गुनगुनाती खुशियाँ यहॉँ आस पास है
रेखा जोशी
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