देखे
कुछ सपने
बंद पलकों से कभी
बह गए
अचानक
आँखों से हमारी
ठुकरा दिया
तुमने
चाहत को
हमारी
धड़कता था जिया
तेरे लिये
टुकड़े हुए उसके
दिल क्या टूटा
बिखर गई उम्मीदे
इधर उधर
हमारी
और हम नादान
संजोते रहे
पलके बंद कर के
अभी भी
वही सपने
रेखा जोशी
कुछ सपने
बंद पलकों से कभी
बह गए
अचानक
आँखों से हमारी
ठुकरा दिया
तुमने
चाहत को
हमारी
धड़कता था जिया
तेरे लिये
टुकड़े हुए उसके
दिल क्या टूटा
बिखर गई उम्मीदे
इधर उधर
हमारी
और हम नादान
संजोते रहे
पलके बंद कर के
अभी भी
वही सपने
रेखा जोशी
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