Friday, 5 December 2014

निशब्द

निशब्द [मेरी एक पुरानी रचना ]

मै खामोश हूँ
भीतर हलचल 
शांत सागर
..................
इक हूक जो
है सीने में उठती 
ज्वालामुखी सी
..................
प्यार किया था
हूँ पर तन्हा तन्हा 
दिल से चाहा
...................

 हो काश कोई 
समझ पाता मुझे 
जी तो लेती मै
...................
लब जो खुले 
दिल की कहने को 
आवाज़ गुम
...................
शब्द नही है 
धड़कन में तुम
हुई  निशब्द  

रेखा जोशी 


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