Saturday, 27 December 2014
ढल गया दिन अब शाम हो गई है
ढल गया दिन अब शाम हो गई है
हसरते सब नाकाम हो गई है
गुज़ार दी जिंदगी यूहीं हमने
ख़ास थी जो अब आम हो गई है
रेखा जोशी
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