फूलों को अंगना में खिलने की आस है
गया पतझड़ बसंत के फलने की आस है
बगिया वीरान आज बिन तेरे अब साजन
धैर्य रख मधुमास में मिलने की आस है
रेखा जोशी
गया पतझड़ बसंत के फलने की आस है
बगिया वीरान आज बिन तेरे अब साजन
धैर्य रख मधुमास में मिलने की आस है
रेखा जोशी
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