मिले तुम जो यहाँ अरमान कब था
चले जो तुम सफर अनजान कब था
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मिले जो तुम हमें संसार पाया
सफर जीवन का यह आसान कब था
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कभी तो तुम इधर आना सजन अब
यहाँ इतना सजन नादान कब था
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न जाने साथ फिर तेरा मिले कब
यहाँ पर वक्त कुर्बान कब था
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यहाँ रौनक हमारे वास अँगना
हमारा घर यहाँ वीरान कब था
रेखा जोशी
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