Monday, 29 June 2015

झूठा था सब [क्षणिका ]

नैनों से बरसता नेह
होंठो पर तुम्हारे
मौन मुस्कुराहट
खिला खिला चेहरा
मेरे जीवन का था इक  सहारा
झूठा था सब
टूट गया दिल
छोड़ कर मुझे तुम
जब चले गए
किसी और के संग

रेखा जोशी 

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