सुबह सुबह
सुनहरी धूप ने
दी दस्तक दरवाज़े पर
न जाने खिड़की पर
कहाँ से आई
चहकती हुई
इक सुन्दर चिड़िया
कह रही
मानो सुप्रभात
फैलाये पंख अपने
नाचती हुई कर रही
अभिवादन
मेरा और इस
सृष्टि का
रेखा जोशी
सुनहरी धूप ने
दी दस्तक दरवाज़े पर
न जाने खिड़की पर
कहाँ से आई
चहकती हुई
इक सुन्दर चिड़िया
कह रही
मानो सुप्रभात
फैलाये पंख अपने
नाचती हुई कर रही
अभिवादन
मेरा और इस
सृष्टि का
रेखा जोशी
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