Friday 12 June 2015

बढ़ता चल पूर्णता की


आये कहाँ से 
हम 
इस दुनिया में 
जाएँ गे कहाँ 
हम 
नही जानते 
क्या है मकसद 
इस जीवन का 
खाना पीना और सोना 
याँ 
पोषण परिवा का 
करते यह तो 

पशु पक्षी भी 

ध्येय मानव का 

है कुछ और 

कर विकसित 

आत्मा अपनी 

कर उत्थान अपना 

कर कर्म कुछ ऐसा 

और निरंतर 

बढ़ता चल पूर्णता की 

और .... 


रेखा जोशी 

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