आये कहाँ से
हम
इस दुनिया में
जाएँ गे कहाँ
हम
नही जानते
क्या है मकसद
इस जीवन का
खाना पीना और सोना
याँ
पोषण परिवा का
करते यह तो पशु पक्षी भी
ध्येय मानव का
है कुछ और
कर विकसित
आत्मा अपनी
कर उत्थान अपना
कर कर्म कुछ ऐसा
और निरंतर
बढ़ता चल पूर्णता की
और ....
रेखा जोशी
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