Sunday, 7 June 2015

सुख दुख मिले हज़ार न रोना यहाँ कभी

अब ज़िंदगी निराश न होना यहाँ कभी 
सुख दुख मिले हज़ार न रोना यहाँ कभी 
देती ख़ुशी कभी गम सौ बार ज़िंदगी 
काँटे कहीं सजन मत बोना यहाँ कभी 

रेखा जोशी 

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