रिमझिम रिमझिम बरसती यह ठण्डी फुहार रुलाती है
घनघोर घटा संग दामिनी नभ पर रास रचाती है
छुप गया चंदा बदरा संग तारों की बारात लिये
लगा कर अगन शीतल हवायें बिरहन को सताती है
घनघोर घटा संग दामिनी नभ पर रास रचाती है
छुप गया चंदा बदरा संग तारों की बारात लिये
लगा कर अगन शीतल हवायें बिरहन को सताती है
रेखा जोशी
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