Monday, 12 October 2015

दोहे

आँचल लहराती हवा पड़े ठंडी फुहार |
उड़ती जाये चुनरिया बरखा की बौछार ||
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सावन बरसा झूम के भीगा तन मन आज ।
पेड़ों पर झूले पड़े  बजे है मधुर साज़ ॥
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रेखा जोशी

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