एकरस होते जब
दिल और दिमाग
उतर आते जज़्बात
कागज़ पर
कम नही
किसी जादूगर से
कलमकार
मचा सकता तहलका
आ सकती क्रान्ति
विश्व में
उसकी कलम से
उसकी पैनी धार से
जो खामोश करती वार
हम सबके दिलों पर
झकझोड़ कर विचारों को
है दिखा देती
इक नवीन दिशा
सृजन कर रचना का
बना सकता एक
स्वस्थ समाज
कर सकता निर्माण एक
सशक्त राष्ट्र का
रेखा जोशी
रेखा जोशी
दिल और दिमाग
उतर आते जज़्बात
कागज़ पर
कम नही
किसी जादूगर से
कलमकार
मचा सकता तहलका
आ सकती क्रान्ति
विश्व में
उसकी कलम से
उसकी पैनी धार से
जो खामोश करती वार
हम सबके दिलों पर
झकझोड़ कर विचारों को
है दिखा देती
इक नवीन दिशा
सृजन कर रचना का
बना सकता एक
स्वस्थ समाज
कर सकता निर्माण एक
सशक्त राष्ट्र का
रेखा जोशी
रेखा जोशी
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