मत देखो ख़्वाब
जो कभी
पूरे हो नही सकते
सुन्दर हो कितने भी
रेत के महल
आखिर इक दिन तो
है गिरना उन्हें
कभी कभी
ज़िंदगी भी हमें
है ले लाती
ऐसी राह पर
जहाँ टेकने पड़ते
घुटने
वक्त के आगे
और बस सिर्फ
है करना पड़ता
इंतज़ार
न जाने कब तक
न जाने कब तक
रेखा जोशी
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