Saturday, 10 October 2015

दोहे

दोहे

बीती जाये ज़िंदगी जीवन के दिन चार
प्रेम प्रीति कर ले मना दुखिया यह संसार

छोटी सी यह ज़िंदगी कह ले दिल की बात
चार दिवस  की चांदनी फिर अंधेरी  रात
....
पाया मानस तन यहाँ कर ले काम महान
सेवा कर माँ बाप की  बड़ों का कर सम्मान

रेखा जोशी



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