ओढ के लाल चुनरिया माँ शेर पे सवार
झोली माँ सब की भरे अनुग्रह करे हज़ार
शीश झुकाये हम खड़े पालनहार जग की
शरण जो आये उसकी ज़िंदगी दे सँवार
रेखा जोशी
झोली माँ सब की भरे अनुग्रह करे हज़ार
शीश झुकाये हम खड़े पालनहार जग की
शरण जो आये उसकी ज़िंदगी दे सँवार
रेखा जोशी
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