Friday, 2 October 2015

चाहतों में मेरी मुस्कुराने लगा चाँद


मेरे दिल की उमंगों में छाने लगा चाँद
चाहतों में  मेरी  मुस्कुराने  लगा चाँद
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सुहानी चांदनी में नाचता है तन मन 
किरणों से अपनी हमे भिगोने लगा चाँद 
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उड़ने लगी चाहतें संग  लिये कई रंग
स्वप्निल नैनो में अब झाँकने लगा चाँद 
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 खिल गई यह वादियाँ सुन के आहट उनकी
सांसों    में   मेरी  अब  महकने  लगा  चाँद 
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शीतल रश्मियों से जगमगाया है अँगना 
झांकता खिड़की  से शर्माने   लगा चाँद 

रेखा जोशी

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