मेरे दिल की उमंगों में छाने लगा चाँद
चाहतों में मेरी मुस्कुराने लगा चाँद
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सुहानी चांदनी में नाचता है तन मन
किरणों से अपनी हमे भिगोने लगा चाँद
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उड़ने लगी चाहतें संग लिये कई रंग
स्वप्निल नैनो में अब झाँकने लगा चाँद
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खिल गई यह वादियाँ सुन के आहट उनकी
सांसों में मेरी अब महकने लगा चाँद
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शीतल रश्मियों से जगमगाया है अँगना
झांकता खिड़की से शर्माने लगा चाँद
रेखा जोशी
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