वक्त तो गुज़र जाता है रुकता फिर कहाँ
सिमट जाता है सपनों में रहता फिर कहाँ
क्यों चिपके रहें गुज़रे वक्त की यादों में
गुज़रा वक्त तो बीत गया मिलता फिर कहाँ
रेखा जोशी
सिमट जाता है सपनों में रहता फिर कहाँ
क्यों चिपके रहें गुज़रे वक्त की यादों में
गुज़रा वक्त तो बीत गया मिलता फिर कहाँ
रेखा जोशी
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