Tuesday, 6 October 2015

गुज़रा वक्त तो बीत गया मिलता फिर कहाँ

वक्त तो गुज़र जाता है रुकता  फिर कहाँ
सिमट जाता है  सपनों में रहता फिर कहाँ
क्यों  चिपके  रहें  गुज़रे  वक्त की यादों में
गुज़रा वक्त तो बीत गया मिलता फिर कहाँ

रेखा जोशी

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