क्षणिका
यादों के समंदर
में
उठ रहा
है बवण्डर
डूब रहा मन
उसमे
उथल पुथल
हो रही
लहर दर लहर
उमड़ती
भावनाओं की
फूट पड़ी
नयनों से
अश्रुधारा बन कर
रेखा जोशी
यादों के समंदर
में
उठ रहा
है बवण्डर
डूब रहा मन
उसमे
उथल पुथल
हो रही
लहर दर लहर
उमड़ती
भावनाओं की
फूट पड़ी
नयनों से
अश्रुधारा बन कर
रेखा जोशी
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