Monday, 27 October 2014

कहलाता मूर्ख साधू यहाँ

है देखा
दुःख ही दुःख
जीवन में
जलता है हृदय
जब अपमानित
होता  सत्य यहाँ
और सम्मानित
होता असत्य यहाँ
कहलाता
मूर्ख साधू यहाँ
और बुद्धिमान
कपटी यहाँ
कठिन
होता जीना यहाँ
है शूल सा
कुछ चुभता दिल में
जब मनाती
बुराई खुशियाँ यहाँ
और
रोती अच्छाई  यहॉं  

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment