है देखा
दुःख ही दुःख
जीवन में
जलता है हृदय
जब अपमानित
होता सत्य यहाँ
और सम्मानित
होता असत्य यहाँ
कहलाता
मूर्ख साधू यहाँ
और बुद्धिमान
कपटी यहाँ
कठिन
होता जीना यहाँ
है शूल सा
कुछ चुभता दिल में
जब मनाती
बुराई खुशियाँ यहाँ
और
रोती अच्छाई यहॉं
रेखा जोशी
दुःख ही दुःख
जीवन में
जलता है हृदय
जब अपमानित
होता सत्य यहाँ
और सम्मानित
होता असत्य यहाँ
कहलाता
मूर्ख साधू यहाँ
और बुद्धिमान
कपटी यहाँ
कठिन
होता जीना यहाँ
है शूल सा
कुछ चुभता दिल में
जब मनाती
बुराई खुशियाँ यहाँ
और
रोती अच्छाई यहॉं
रेखा जोशी
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