मदमस्त
उछलना
ऊपर नीचे
लहराना मचलती
लहरों का
शोर मचाती
बढ़ रही
बेताबी से
मेरी ओर
और
भिगो कर
मेरा
तन बदन
फिर लौट
जाना
लहरों का
बस गया
दिल में मेरे
वह मधुर
संगीत
लहरों का
उछलना
ऊपर नीचे
लहराना मचलती
लहरों का
शोर मचाती
बढ़ रही
बेताबी से
मेरी ओर
और
भिगो कर
मेरा
तन बदन
फिर लौट
जाना
लहरों का
बस गया
दिल में मेरे
वह मधुर
संगीत
लहरों का
सागर के
स्वर्णिम सीने पर
झूल रही नैया मेरी
गुनगुना रहे लब मेरे
है झूम रहा
पगला मन
लेता हिचकोले
लहरों सा
रेखा जोशी
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